Monday, December 23, 2024
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नग़मा है सौदाए ख़ाम, ख़ून-ए-जिगर के बग़ैर…

महानता और सफलता पाने के लिए बहुत सारे बलिदान देने पड़ते हैं। यह कोई आसान काम नहीं है। महानता के रास्ते पर चलने वाले को बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उसे अपनी इच्छाओं को कुर्बान करना पड़ता है और उसे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। महानता के रास्ते पर चलने वाले को अक्सर अकेलेपन का सामना करना पड़ता है। उसे लोगों की आलोचना और ईर्ष्या का शिकार बनना पड़ता है। लेकिन उसे इन सब चीजों से ऊपर उठकर अपनी मंजिल की ओर बढ़ना होता है।

 

  • कामयाबी के लिए समय की कुर्बानी देनी पड़ती है। महान बनने के लिए व्यक्ति को अपने निजी जीवन से समय निकालकर अपने काम पर लगाना पड़ता है। उसे मनोरंजन और आराम के मौकों को कम करना पड़ता है।
  • कामयाबी के लिए सब्र का होना भी बहुत जरूरी है। सफलता रातों रात नहीं मिलती। इसके लिए व्यक्ति को बहुत सब्र करना पड़ता है। उसे असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए बल्कि उनसे सबक लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
  • कामयाबी प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखना चाहिए। उसे अपनी कमजोरियों को दूर करना चाहिए और अपनी ताकतों को बढ़ाना चाहिए।
  • कामयाबी का रास्ता हमेशा आसान नहीं होता। इसमें कांटे भी होते हैं और फूल भी। लेकिन जो व्यक्ति महान बनना चाहता है वह इन कांटों का दर्द सहते हुए आगे बढ़ता रहता है।

 

अल्लामा इक़बाल का शेर है:

नक्श हैं सब ना तमाम ख़ून-ए-जिगर के बग़ैर
नग़मा है सौदाये ख़ाम ख़ून-ए-जिगर के बग़ैर

 

महानता और कामयाबी का रास्ता हमवार नहीं होता। इस पर चलने वाले को राहत, आराम और निजी ख्वाहिशों को पीछे छोड़ना पड़ता है। उसे तन्हाई, नाकामियों और तंकीदों का सामना करना पड़ता है। लेकिन जो व्यक्ति महानता का तालिब है वह इन सब मुश्किलों को झेल कर अपनी मंजिल तक पहुंचता है। महानता की कीमत बहुत ज्यादा होती है लेकिन इसकी खुशी भी लामहदूद होती है।

मेहनत ही वह नींव है जिस पर महानता की इमारत खड़ी होती है। यह लगातार प्रयास, समय का बलिदान, और अपनी कुशलता को बेहतर बनाने का जज़्बा है। बिना मेहनत और लगन के, यहाँ तक कि सबसे प्रतिभाशाली लोग भी अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग नहीं कर पाते।

डॉक्टर आज़ाद मोपेन, केरल से ताल्लुक रखने वाले एक दूरदर्शी कारोबारी व्यक्ति हैं, उन्होंने विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने का सपना देखा और एस्टर डीएम हेल्थकेयर की स्थापना की। उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, शुरुआती निवेश प्राप्त करने से लेकर एक मजबूत स्वास्थ्य नेटवर्क स्थापित करने तक। लेकिन अपनी लगन और नवीन रणनीतियों के माध्यम से उन्होंने इन सभी बाधाओं पर काबू पा लिया। आज, एस्टर डीएम एक प्रसिद्ध स्वास्थ्य सेवा कंपनी है जो रोजाना लाखों लोगों के जीवन को छूती है। डॉक्टर मोपेन का सफ़र दृढ़ता और उच्च लक्ष्यों के लिए खुद को समर्पित करने का एक महान उदाहरण है।

मगर सिर्फ मेहनत ही काफी नहीं है, बल्कि इसके साथ दिल की गहराइयों से निकलने वाला जज़्बा भी ज़रूरी है। जब हम किसी काम के लिए सच्चे दिल से उत्साहित होते हैं तो हम अतिरिक्त प्रयास करने, व्यक्तिगत आराम को त्यागने और बाधाओं को दूर करने के लिए तैयार रहते हैं।

कामयाबी की ओर सफ़र में रुकावटें और नाकामियाँ भी आती हैं। लेकिन यही वह समय है जब हमारी असली शख़्सियत निखर कर सामने आती है। जो लोग मुश्किलों का मुकाबला करते हैं, अपनी ग़लतियों से सबक़ लेते हैं और मुसीबतों से मज़बूत होकर उभरते हैं, वही लोग आख़िरकार अज़मत की बुलंदियों को छूते हैं।

स्टीफन किंग का पहला उपन्यास तीस से अधिक प्रकाशकों द्वारा अस्वीकार किए जाने के बाद अंततः स्वीकार किया गया और फिर एक बहुत अधिक बिकने वाली पुस्तक बन गया।

कामयाबी कोई मंज़िल नहीं, बल्कि एक सफ़र है। यह सफ़र कई मरहलों पर मुश्तमिल होता है। इस में कामयाबियाँ भी होती हैं और नाकामियाँ भी। अज़मत हासिल करने के लिए लगातार मेहनत और लगन की ज़रूरत होती है।

आपकी मेहनतों को सफल बनाने का राज़ खुद आपके पास है। अपने अंदर आत्मविश्वास पैदा करें और लगातार सीखते रहने का मिज़ाज बनाएं। चुनौतियों को तरक्की करने के मौकों के तौर पर स्वीकार करें। अपने आप को सकारात्मक लोगों से घेर लें और कभी सपने देखना बंद न करें। याद रखें, आपकी संभावनाएँ  असीमित हैं, और इन्हें करके दिखाने की चाबी आपके हाथ में है।

रोशनी के बल्ब का आविष्कारक, थॉमस एडिसन, सफल होने से पहले हज़ारों बार नाकाम हुआ। लेकिन उसने सफलता हासिल करने तक हार नहीं मानी।

 

अज़मत क़ुरबानी का तकाज़ा करती है। इस की खातिर फ़ौरी लज़्ज़त को लंबी मुद्दत के मक़सद के लिए क़ुरबान करना होता है। इसका मतलब है आराम, अपने प्यारों के साथ वक़्त बिताना और यहाँ तक कि ज़ाती ख़्वाबों से भी दस्तबर्दार होना। चोटी तक का रास्ता मेहनत, लगन और मुश्किल फ़ैसले करने से ताल्लुक़ रखता है। याद रखें, जितनी बड़ी क़ुरबानी होगी, उतना ही बड़ा सिला होगा।

 

अल्लामा इक़बाल आगे कहते हैं:

सिलसि-ए-रोज़ो शब, नक़्शगर-ए-हादिसात
सिलसि-ए-रोज़ो शब, असले हयातो ममात

रंग हो या ख़िष्ट व संग, चिंग हो या हर्फ़ो सौत
मज़हरे फ़न की है ख़ून-ए-जिगर से नमूद

कतरा-ए खून-ए जिगर, सिल को बनाता है दिल
खूने जिगर से सदा सोज़ो सुरूरो सुरूद

नक्श हैं सब ना तमाम ख़ून-ए-जिगर के बग़ैर
नग़मा है सौदाये ख़ाम ख़ून-ए-जिगर के बग़ैर

 

सुहैब नदवी
[Email: Contact@Laahoot.com]

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